बेरोजगारी परिभाषा - कार्य करने के योग्य व इच्छुक व्यक्तियों द्वारा प्रचलित मजदूरी पर काम माँगने के बावजूद उसे उसे उपलब्ध न हो तो उसे बेरोजगार कहा जाता है।
श्रम बल - जनसंख्या का वह भाग जो कार्य करने के योग्य व इच्छुक है, श्रम बल कहलाता है।
कार्य बल - श्रम बल का वह हिस्सा जो किसी न किसी उत्पादक कार्य में संलग्न है, कार्य बल कहलाता है।
बेरोजगारी के प्रकार -
बेरोजगारी मापन की विधियां -
श्रम बल - जनसंख्या का वह भाग जो कार्य करने के योग्य व इच्छुक है, श्रम बल कहलाता है।
कार्य बल - श्रम बल का वह हिस्सा जो किसी न किसी उत्पादक कार्य में संलग्न है, कार्य बल कहलाता है।
बेरोजगारी के प्रकार -
- संरचनात्मक बेरोजगारी - अर्थव्यवस्था के अल्पविकसित ढांचे के कारण जनसंख्या को रोजगार उपलब्ध नहीं हो पाता। यह अल्पविकसित व विकासशील देशों में पाई जाती है तथा दीर्घकालिक होती है। भारत में बेरोजगारी का प्रमुख प्रकार है।
- चक्रीय बेरोजगारी - समग्र मांग में कमी के कारण पूर्ती प्रभावित होती है। परिणामस्वरूप उत्पादन में कमी आती है तथा उसमें संलग्न व्यक्ति बेरोजगार हो जाते हैं। यह विकसित देशों में पाई जाती है।
- घर्षणात्मक बेरोजगारी - जब व्यक्ति किसी एक नौकरी को छोड़कर दूसरी जॉइन करता है तो वह कुछ समय के लिए बेरोजगार हो जाता है। यह अल्पकालिक होती है तथा विकसित देशों में पाई जाती है।
- मौसमी बेरोजगारी - मौसम परिवर्तन के साथ कुछ कार्य अनुत्पादक हो जाते हैं तथा उनमें संलग्न व्यक्ति बेरोजगार हो जाते हैं। भारत में यह बेरोजगारी कृषि क्षेत्र में पाई जाती है।
- अदृश्य/प्रच्छन्न/छिपी हुई बेरोजगारी - जब किसी कार्य में आवश्यकता से अधिक लोग संलग्न हो, उनमें से कुछ व्यक्तियों को हटाने पर भी उत्पादन अप्रभावित रहे। अर्थात् हटाए गए व्यक्तियों की सीमांत उत्पादकता (Marginal Productivity) जीरो हो। यह भी भारत के कृषि क्षेत्र में पाई जाती है।
- खुली बेरोजगारी - जब व्यक्ति स्पष्ट तौर पर किसी भी उत्पादक कार्य में संलग्न न हो। यह शैक्षणिक व औद्योगिक क्षेत्र में पाई जाती है।
बेरोजगारी मापन की विधियां -
- सामान्य स्थिति (U.S.) - इसके अंतर्गत वर्ष को दो भागों में बाँटा जाता है। - व्यस्त भाग तथा सुस्त भाग। यदि किसी व्यक्ति को व्यस्त भाग में भी कम उपलब्ध न हो तब उसे बेरोजगार माना जाता है।
- प्रचलित साप्ताहिक स्थिति (C.W.S.) - किसी संदर्भित सप्ताह में यदि व्यक्ति को एक घंटे का भी काम उपलब्ध न हो तो उसे बेरोजगार माना जाता है।
- प्रचलित दैनिक स्थिति (C.D.S.) - यदि किसी व्यक्ति को एक दिन में चार घंटे का कार्य उपलब्ध हो तो इसे आधे दिन का रोजगार तथा इससे अधिक होने पर पूरे दिन का रोजगार माना जाता है। यह सबसे उपयुक्त विधि है।
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